Mar 2, 2024
गुडगांव,Jan 2, 2018: 4 फरवरी को हम विश्व कैंसर दिवस मना रहे हैं, ऐसे में यह जानना बेहद दुख की बात है कि पश्चिमी देशोँ के मुकाबले कैंसर के काफी कम मामले दर्ज होने के बावजूद देश में कैंसर की वजह से सबसे अधिक प्रीमैच्योर मृत्यु होती है। इसकी वजह है गलत जांच, खराब प्रबंधन और यहाँ तक कि लक्षणोँ की अनदेखी करना। देश में तकरीबन 60% मौतोँ का कारण नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियाँ हैं। कैंसर की जांच की मध्यम आयु भारत में पुरुषोँ के लिए 54 वर्ष और महिलाओँ के मामले में 52 वर्ष है। कैंसर के सम्बंध में जागरुकता के प्रसार हेतु अमेरिकन इक्सेल्सियर स्कूल से करीब 200 बच्चोँ ने ‘वी कैन आई कैन’लोगो के साथ ह्युमन चेन बनाया।
इस कार्यक्रम की पहल उत्साह स्पोर्ट ग्रुप द्वारा की गई थी जिसे जीवन दिया पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम ने। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 9 बजे हुई जिसमेँ छात्रोँ के साथ डॉक्टरोँ ने भी पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। पारस हॉस्पिटल, गुड्गांव के सर्जिकल ऑन्कॉलजी विभाग के हेड और सीनियर कंसल्टेन्ट डॉ. विनय सैमुअल गायकवाड ने कहा कि, “भारत में कैंसर क बढते खतरे के बारे में बच्चोँ का भी जागरुक होना अनिवार्य है। कैंसर के 6% मामले बच्चोँ से सम्बंधि होते हैं। वातावरण में रहा बदलाव और कठिनाइयाँ कैंसर के लिए जिम्मेदार महत्वपूर्ण कारक हैं।लोगोँ के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि सिर्फ बहुत अधिक अल्कोहल लेने से ही कैंसर नहीं होता है। इसका कारण तनाव भी हो सकता है जिससे हम सब दो-चार होते रहते हैं। पुरुषोँ में प्रॉस्टेट कैंसर और महिलाओँ में गर्भाशयमुख का कैंसर सबसे तेजी से फैल रहा है। तम्बाकू से सम्बंधित कैंसर और गर्भाशयमुख के कैंसर की जांच जल्द हो जाए तो इनका इलाज सम्भव है।”
भारत में, कैंसर के कारण होने वाली 71% मौतेँ 31-39 वर्ष की उम्र में होती हैं। कैंसर में कई तरह के लक्षण और असामान्य स्थितियाँ दिखाई देती हैं, जिनका लोगोँ को ध्यान रखना चाहिए।टीकाकरण और नियमित जांच से कैंसर से बचाव में मदद मिल सकती है। भारत में होने वाले अधिकतर कैंसर का इलाज सम्भव है, मगर इसके लिए बीमारी का जल्द पता लगना जरूरी है। अधिकतर मामलोँ में कैंसर का इलाज काफी खर्चीला होता है। लेकिन सरकारी सहायता इसमेँ अहम भूमिका निभा सकती है। ऐसा देखा गया है कि ग्रामीण इलाकोँ की तुलना में शहरी इलाकोँ में कैंसर के अधिक मामले सामने आते हैं।
सर्जिकल ऑन्कॉलजी के वरिष्ठ कंसल्टेंट और प्रमुख डॉ. विनय सैमुअल गायकवाड ने कहा कि, “अपनी बेटियोँ को एचपीवी वायरस का टीका अवश्य लगवाएँ, जो कि गर्भाशयमुख के कैंसर का सम्भावित कारण हो सकता है। हर मिनट, भारत में 8 महिलाओँ को गर्भाशयमुख कैंसर होने का पता चलता है। यहाँ तक कि छाती के कैंसर में भी लक्षणोँ को पहचानना सम्भव है, ब्रेस्ट में गांठ महसूस होना और इसकी त्वचा पर असामान्य धब्बे उभरना आदि कैंसरस ग्रोथ के लक्षण हो सकते हैं। कैंसर के इलाज हेतु दी जाने वाली थेरेपीज अब वहन करने योग्य (अफोर्डेबल) हो गई हैं। 40 वर्ष से ऊपर की उम्र वाले सभी लोगोँ को आवश्यक रूप से पूरी स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए।“
लोग सोचते हैं कि कैंसर की जांच के दौरान की जाने वाली बायॉप्सी और अन्य टेस्ट में चीरा लगेगा और दर्द होगा। लेकिन यह जानना जरूरी है कि अब ऐसी तकनीक आ चुकी हैं जिनकी मदद से कैंसर की जांच और इसके इलाज में पहले की तुलना में बेहद कम दर्द होता है। कैंसर के इलाज के लिए दी जाने वाली थेरेपी के साइड इफेक्ट को योगा, अरोमाथेरेपी, मसाजऔर एक्युपक्चर आदि की मदद से कम किया जा सकता है। ग्रामीण इलाकोँ में बीमारी का पता देर से लगने का एक बडा कारण जांच केंद्रोँ, जानकार कैंसर विशेषज्ञोँ और जागरुकता की कमीभी है। इस पहले कि कैंसर भारत में एक महामारी की तरह फैल जाए, इन समस्याओँ को दूर करने के लिए कदम उठाना चाहिए।.