Mar 2, 2024
पटना, 12 फरवरी, 2018। मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं है इससे घबराने की जरूरत नहीं है। अस्सी प्रतिशत मिर्गी दवा से ठीक हो जाता है, बांकी में आॅपरेशन की जरूरत पड़ सकती है। मिर्गी से पीड़ित महिला भी स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। मिर्गी के मरीज को जूता नहीं सूंघाना चाहिए बल्कि उसके काॅलर के पास के कपड़े को ठीला कर देना चाहिए ताकि उसे सांस लेने में तकलीफ न हो। उसे करवट करके सुला देना चाहिए तथा उसके मुंह में चम्मच बगैरह नहीं डालना चाहिए।
पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल के न्यूरोलाॅजी विभाग के विशेषज्ञ डाॅ. अनिल कुमार झा ने विश्व मिर्गी दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार 12 फरवरी को बताया कि मिर्गी साधारणतया बच्चों और बूढ़ों में होती है। बच्चों में यह वंशानुगत या मोटाबाॅलिक होती है। युवा लोगों में यह संक्रमण के कारण होता है। ब्रेन में संक्रमण के कारण भी युवा वर्ग में यह बीमारी होती है। बूढ़ों में ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन की नस के सूख जाने के कारण होता है। शरीर में चीनी, पोटाशियम, सोडियम (नमक) की मात्रा कम या अधिक होने के कारण भी मिर्गी की बीमारी होती है। ब्रेन में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाने से भी बीमारी होती है।
मिर्गी के लक्षण की चर्चा करते हुए डाॅ. झा ने कहा कि कई बार इसके सुक्ष्म लक्ष्ण होते हैं जो केवल डाॅक्टर ही जान सकते हैं। वैसे आम लक्षण में अचानक अन्यमनस्क हो जाना, हाथ-पैर अकड़ जाना, आंखे उलट जाना, कपड़े में पेशाब हो जाना शामिल है। सावधानी के बारे में डाॅ. झा ने कहा कि मिर्गी के रोगी को तालाब, स्वीमिंगपूल आदि में नहीं जाने देना चाहिए। साथ ही ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए। यह बीमारी 0.5 से लेकर एक प्रतिशत लोगों को होती है। मिर्गी रोगी के परिजन को चाहिए कि पहली बार मिर्गी आने पर उसे इलाज करना चाहिए ताकि दोबारा मिर्गी का दौरा न आए। मिर्गी के मरीजों को प्र्याप्त नहीं लेनी चाहिए। साथ ही नियमित रूप से निर्धारित दवाइयाँ लेनी चाहिए। इसके अलावा मिर्गी के मरीजों को भी दवाइयाँ बदलने या बंद करने से पहले डाॅक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।