Mar 2, 2024
पटना, 25 अप्रैल 2018| ठंड और कंपकंपी के साथ तेज बुखार आना ही मलेरिया के लक्षण नहीं हैं |पूरे शरीर में दर्द हो लेकिन सर और कमर में तेज दर्द हो तो वह भी मलेरिया का लक्षण होता है |इसलिए हर बुखार को वायरल बुखार मानकर इलाज नहीं करना चाहिए बल्कि मलेरिया वगैरह की जांच कर लेनी चाहिए| इसके अलावा मलेरिया के मरीजों को मिर्गी का दौरा भी आ सकता है और मरीज बेहोशी की हालत में भी जा सकता है| यह बातें विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर बुधवार 25 अप्रैल को पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर मुकेश कुमार ने कहीं | उन्होंने कहा कि देश में प्रतिदिन दो हजार लोगों की मौत मलेरिया से हो जाती है| मलेरिया के लक्षण की चर्चा करते हुए डॉक्टर कुमार ने कहा कि ठंड और कंपकंपी के साथ तेज बुखार उसके प्रमुख लक्षण माने गए हैं | बुखार आने के बाद मरीज को काफी कमजोरी आ जाती है| इसके अलावा निश्चित अंतराल के बाद बुखार आता है| जैसे 4 घंटे के बाद, 12 घंटे के बाद| इसमें मरीज को बेहोशी भी होती है तथा कोमा में भी जा सकता है |हाथ-पैर पर लाल निशान या धब्बा आ सकता है| पेशाब कम होता है तथा सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है, कमप्लिकेटेड मलेरिया के केस में। साथ ही मरीज को पीलिया होने की संभावना हो सकती है|
मलेरिया की पहचान के बारे में उन्होंने कहा कि आवश्यक जांच के बाद ही बीमारी की पहचान होती है| मरीज के खून की जांच मलेरिया एंटीजेंट कीट से की जाती है। लेकिन कई बार मलेरिया का टेस्ट रिलायबल नहीं होता है, इस कंडिश्न में डॉक्टर अपने क्लिनीकल जजमेंट के आधार पर जजमेंट करते हैं। मलेरिया से बचने के बारे में उन्होंने कहा कि रात में मच्छरदानी अवश्य इस्तेमाल करें। अपने घर के आसपास बहुत दिनों तक जल-जमाव नहीं होने दें। उसीमें मच्छर पैदा होते हैं। कूलर का पानी भी बराबर बदलते रहें। यदि पानी काफी समय तक जमा रहे तो उसमें किरासन तेल डालें।
मलेरिया मादा एनाफ्लीज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया चार प्रकार के होते हैं । पहला- पी-वाईवेक्स, दूसरा- पी-फॉल्सीपेरम, तीसरा-पी-मलेरियाई और चौथा- पी-ऑवेल । पहले प्रकार का मलेरिया करीब 60 प्रतिशत मरीजों को होता है जबकि दूसरे प्रकार का मलेरिया 30 से 40 फीसदी मरीजों में पाया जाता है जो ज्यादा खराब होता है। डॉक्टर कुमार ने कहा की यदि कहीं शंका हो या टेस्ट पॉजिटिव आता है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए ।
इसके अलावा मलेरिया बल्ड ट्रांसफ्यूजन, ऑरगन ट्रांसप्लांट, एक ही सूई से दोबारा इंजेक्शन देने से भी हो सकता । इससे बचाव के लिए कुछ दवाएं भी दी जा सकती हैं खासकर उन लोगों को जो उस क्षेत्र में जाते हैं जहां मलेरिया के इंसिडेंस ज्यादा होते हैं।