Mar 2, 2024
दरभंगा, 03 नवम्बर 2017। मिथिलांचल में दिमाग के लक्वे के बढ़ते मामलों को देखते हुए पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल, दरभंगा में गुरूवार से स्ट्रोक क्लिनिक लाँच की गयी जिसमें स्ट्रोक के इलाज की सम्पूर्ण व्यवस्था है तथा इससे बचने के उपाय भी बताये जाते हैं। यह जानकारी देते हुए हाॅस्पिटल के न्यूरो फिजिषियन डाॅ. मोहम्मद यासिन ने बताया कि यदि ब्लड प्रेषर, डायबिटीज तथा दिल की बीमारियों की जांच कराकर उसकी दवा नियमित ली जाए तो बहुत हद तक स्ट्रोक के मामलों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा जीवन शैली में बदलाव, खाना-पान में परहेज तथा व्यायाम वगैरह करके स्ट्रोक से बचा जा सकता है । ब्लड प्रेषर के रोगी को नमक कम मात्रा में लेना चाहिए, तेल-घी खाने से परहेज करना चाहिए। खून एवं औक्सिजन दिमाग में सही तरह से नहीं पहुँचने के वजह से होता है स्ट्रोक।
डाॅ. यासिन ने कहा कि स्ट्रोक यानी लकवा, पक्षघात, ब्रेन हेमरेज के इलाज के लिए पारस में विषेषज्ञों की टीम है जिनमें न्यूरोलाॅजिस्ट, इमरजेंसी फिजिषियन, क्रिटीकल केयर फिजिषियन, रेडियोलाॅजिस्ट, न्यूरो सर्जन, कार्डियोलाॅजिस्ट, न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट तथा प्रषिक्षित नर्स शामिल हैं। उन्होंने स्ट्रोक के पहचानने के कुछ तरीके भी बताये। उन्होंने कहा कि अगर कोई हंस नहीं पा रहा हो, हाथ-पैर में कमजोरी लगे, बोलने में दिक्कत हो, निगलने में परेषानी हो, सर में अचानक जोरो का दर्द शुरू हो जाए, चलने में परेषानी हो, कमजोरी लगे तथा देखने में दोहराव लगे तो समझ जाना चाहिए कि स्ट्रोक मार रहा है। उन्होंने कहा कि अगर किसी के परिवार में स्ट्रोक का इतिहास है, वैसे लोगों को बराबर अपना चेकअप कराते रहना चाहिए।