Mar 2, 2024
दरभंगा, 26 अक्टूबर 2017। पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल, दरभंगा ने वर्षा के पानी से हुए जलजमाव में लगातार चलनेके कारण टिटनेस रोग से पीड़ित सुपौल के 52 वर्ष के प्रोफेसर एल.के. झा को राहत दिलायी। उनके दोनों हाथ और पैर में खुजली जैसा चर्मरोग हो गया था तथा जबड़ा के लाॅक कर जाने से मुंह नहीं खुल पा रहा था जिससे खाना नहीं खा रहे थे। उन्हें नाक में पाइप से खाना दिया जा रहा था। उनके इलाज करने वाले न्यूरो फिजिसियन डाॅ. मोहम्मद यासिन ने बताया कि वह खाना नहीं खाने के कारण कमजोर हो गये थे। उनका हाथ-पैर अकड़ गया था तथा हाथ, पैर और पीठ टेढ़ा भी हो गया था। कुछ जरूरी जांच भी की गयी जिसमें टिटनेस की पुष्टि हुई।
डाॅ. यासिन ने कहा कि बीमारी डायग्नोज ही जाने के बाद उन्हें आइसोलेसन वार्ड में रखा गया। आइसोलेसन वार्ड का मतलब होता है सवंमित रोगी को अलग में रखना। इसके बाद उन्हें पांच सप्ताह तक एंटी टेटनस सेरम दिया गया। मांसपेषियों के अकड़न खत्म करने के लिए दवा दी गयी तब जाकर बीमारी पर नियंत्रण पाया गया। आॅपेरषन की नौबत नहीं आयी। अ बवह बिना किसी की मदद के खाना खा रहे हैं तथा सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
डाॅ. यासिन ने बताया की टिटनेस गाय और भैंस के गोबर में मिट्टी मिलने के बाद किसी तरह के जख्म पर इसके लग जाने से हो जाता है। उन्होंने कहा कि जलजमाव के बीच इन पषुओं के चलने से इनके गोबर मिट्टी में मिल गये होंगे तथा वह मरीज के जख्म पर लग गया होगा और उसी से यह बीमारी हुई होगी। उन्होंने कहा कि जख्म वाले लोगों को जलजमाव में ज्यादा चलने से परहेज करना चाहिए।
म्रीज झा ने पारस हाॅस्पिटल और डाॅ. मो. यासिन को धन्यवाद देते हुए कहा कि मै नहीं जानता था कि पानी में चलने से भी टिटनेस हो जाता है। टिटनेस हो जाने के बाद तो मेरी स्थिति काफी दर्दनाक हो गयी थी, पूरा देह लगता था कि अकड़ गया है, न कुछ खा पाते थे न पी पाते थे।