Mar 2, 2024
बहरेपन के कारण नौकरी गंवाने वाले 60 साल के वृद्ध के कान के भीतर में कॉकलियर यंत्र लगाकर राहत दिलायी गयी, अब उसे अच्छी तरह सुनाई दे रहा है, यह यंत्र लगाने वाला पारस बिहार का पहला निजी हॉस्पिटल।
हॉस्पिटल के ई.एन.टी. विषेशज्ञ डॉ. अभिनीत लाल ने सर्जरी कर लगाया यंत्र, अब पारस में हर माह के अंतिम षनिवार को बहरेपन दूर करने के लिए लगायी जायेगी फ्री क्लिनिक, हीयरिंग ऐड से भी न सुनने वाले सुन पायेंगे।
पटना, 05 मार्च 2020 : पिछले दस साल से बहरा होने के कारण अपनी नौकरी गंवा बैठे एक 60 वर्शीय वृद्ध के कान के भीतर में पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषिलिटी अस्पताल, राजा बाजार, पटना में कॉकलियर नामक यंत्र लगाकर उसे राहत दिलायी गयी। अब उसे पहले की तरह सुनाई दे रहा है। बिहार में किसी निजी अस्पताल में पहली बार पारस हॉस्पिटल में इस तरह का यंत्र लगाया गया है। यह यंत्र कान में मुंह की नस के पिछले वाले भाग में लगाया जाता है। इस सर्जरी को करने में जरा सी असावधानी मरीज के लिए भारी पड़ सकती है। इस यंत्र से पूर्णरूप से बहरा घोशित मरीज भी सुन सकेगा, लेकिन यह यंत्र काफी महंगा है, इसलिए मुख्यमंत्री राहत कोश से एक फिक्सड रकम मिल जाने की संभावना रहती है। अपने अस्पताल में इस तरह की सर्जरी के बाद पारस अस्पताल प्रबंधन ने जन्मजात बहरे बच्चे या प्रौढ़ के इलाज के लिए प्रत्येक माह के अंतिम षनिवार को फ्री क्लिनिक चलाने का फैसला किया है। इस तरह पारस हॉस्पिटल में अब बहरेपन दूर करने का सम्पूर्ण इलाज भी उपलब्ध है।
यह जानकारी देते हुए अस्पताल के रिजनल डायरेक्टर डॉ. तलत हलीम ने बताया कि हम बहरापन दूर करने के लिए लोगों में जागरूकता जगाना चाहते हैं। क्लिनिक में मुफ्त में वे आकर ऑडियोलॉजिस्ट से दिखाएं। इसके लिए उन्हें पहले यहां रजिस्ट्रेषन कराना होगा। उन्होंने कहा कि जिन्हें हीयरिंग ऐड से भी सुनाई नहीं दे रहा है, वे कॉकलियर यंत्र से सुन पायेंगे। हम बहरापन दूर करने के लिए इस क्लिनिक का आयोजन कर रहे हैं।
कान की सर्जरी कर कॉकलियर यंत्र लगाने वाले ई.एन.टी. के विषेशज्ञ डॉ. अभिनीत लाल ने बताया कि चार साल से कम उम्र के बच्चे पर यह यंत्र काफी अच्छा काम करता है। वह सामान्य ढंग से सुन सकता है। यह यंत्र उसी अस्पताल में लगाया जा सकता है जहां ई.एन.टी. के विषेशज्ञ हों, वहां सर्जरी की सारी सुविधाएं मौजूद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे अस्पताल में डॉक्टरों की टीम काम करती है और सर्जरी के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, इसलिए हम इस तरह का यंत्र लगा पाये हैं। डॉ. लाल ने कहा कि अपने देष में एक हजार में एक बच्चा बहरा पैदा होता है जिसमें से केवल दो प्रतिषत बच्चों को ही यह यंत्र उपलब्ध हो पाता है। यह यंत्र ऑस्ट्रेलिया और ऑस्ट्रिया में बनता है जिसकी कीमत पांच लाख रूपये है। इस यंत्र की सर्जरी में मरीज को इंफेक्षन से बचाना पड़ता है। यंत्र बनाने वाली कंपनी मरीज की मैपिंग करती रहती है कि उसे सही तरीके से सुनाई दे रहा है या नहीं।