Mar 2, 2024
दरभंगा निवासी श्रीमती रोशन जहान को कई महीनों से खांसी के साथ खून आ रहा था I उन्होने जब अपनी पीड़ा अपने घर वालों को बताई तो सबको लगा की उनको टी बी या (ट्यूबरक्युलोसिस) का रोग हो गया है, परंतु कुछ ही दिनों के बाद उनको अपने मल में भी खून आने लगा I
अपनी सेहत की परवाह न करते हुए उन्होने अपनी हालत को नज़रअंदाज़ किया और घर पर ही आराम करती रही I सही समय पर उपचार न लेने के कारण उनके शरीर से खून की मात्रा कम होती रही और एक दिन वह घर पर बेहोश हो गई I
अपनी माँ की सेहत की चिंता करते हुए उनके बेटे उनको तुरंत पारस हॉस्पिटल दरभंगा के आपातकालीन विभाग में लेकर आगये I इमरजेंसी में परामर्श के बाद पहले तो यह मालूम चला की मरीज के शरीर में खून की मात्रा काफी कम है I डॉक्टरों की टीम ने तुरंत ही खून चढ़ाने के आदेश दिए और साथ ही पारस दरभंगा की विशेष टीम तो इत्तिला कर दिया ताकि कमज़ोरी और खून की कमी का कारण पता चल सके I
पारस दरभंगा के आई सी यू विभाग में पेशेंट रोशन जहान को 10 दिन तक रखा गया ताकि वह खतरे से बाहर आ सकें I डॉ शरद झा, गैस्ट्रो रोग विशेषज्ञ, पारस ग्लोबल हॉस्पिटल दरभंगा के अनुसार, “ई आर सी पी मुख्य रूप से पित्त नलिकाओं या बायल डक्ट की शिकायतों का निदान और उपचार करने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिसमें गैल्स्टोन, पेट के अंदर निशान, लीक (आघात और सर्जरी से), और कैंसर शामिल हैं। ई आर सी पी एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो एक्स-रे और एंडोस्कोपी के उपयोग को जोड़ती है, जो एक लंबी, लचीली, रोशनी वाली ट्यूब है। एंडोस्कोप के माध्यम से, चिकित्सक पेट और डुओडेनम के अंदर देख सकता है I इस से पित्त की समस्याओं और पैनक्रिया की नलिकाओं में रंग दाल कर किसी लीक या सूजन का पता लगाया जा सकता है I”
डॉ शरद झा बतातें है, ” जांच के दौरान यह पता चला की पेशेंट के पेट में कई होल्स या छेद हो गए थे, जिनके कारण उनके मुँह और मल से खून आरहा था I हमने साथ में ही ई आर सी पी सी देख कर सभी छेदों को बंद कर दिया और पेशेंट को सही दवाइयां दी I छेद बंद करने के 5 दिन बाद ही पेशेंट बेहतर महसूस करने लगी और डिस्चार्ज के लिए तैयार हो गयी I”
डॉ शरद के अनुसार, ” आधुनिक ई आर सी पी टेक्नोलॉजी दरभंगा में केवल पारस हॉस्पिटल में ही मौजूद है I सही जांच प्रणाली और उपचार से कई जानें बचाई जा सकती है I यदि आपको 1 हफ्ते से ज़्यादा कभी भी पेशाब, मुँह या मल से खून की शिकायत हो तो तुरंत ही किसी गैस्ट्रो रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें I”