Mar 2, 2024
दरभंगा 3 मई, 2018: विश्व दमा दिवस के मौके पर पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल, दरभंगा के प्रसिद्ध पल्मोनोलाॅजिष्ट डाॅ. मकसूद आलम तथा मेडिकल अधीक्षक डाॅ. आसिफ इकबाल ने दरभंगा के स्कूलों में जाकर करीब एक हजार छात्रों को दमा की बीमारी के बारे में जागरूक किया। डाॅ. आलम ने कहा कि यह बीमारी अनुवांशिक तो होती है, लेकिन वायु प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण, एलर्जी, धुआं, धूलकण तथा ठंड के कारण भी होती है। इस बीमारी के बचाव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि धूल से बचने के लिए लोगों को मास्क लगाना चाहिए तथा एलर्जी उत्पन्न करने वाली चीजों को मरीज को खुद पहचानना चाहिए तथा उससे परहेज करना चाहिए। अगर किसी को धुआं से एलर्जी है तो उसे धुआं वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर किसी की सांस फूलती हो तो उसे शीघ्र डाॅक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह लक्षण तो दमा का है। दमा में सांस फूलने के अलावा सीना में भारीपन और दर्द भी होता है, इसके अलावा, खांसी भी होती है। डाॅ. आलम ने कहा कि लगातार खांसी हो तो भी यह समझ लेना चाहिए कि यह दमा हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह दमा की बीमारी पूरी तरह छूट तो नहीं सकती है बल्कि इसे दवा से नियंत्रित किया जाता है। दमा के मरीजों को डाॅक्टर से सलाह लेनी चाहिए अन्यथा परेशानी और भी बढ़ सकती है क्योंकि डाॅक्टर रोगी की बीमारी की तीव्रता को देखकर दवा देते हैं। दवा के अलावा इनहेलर भी काफी कारगर इस बीमारी में साबित होती है।
परहेज की चर्चा करते हुए डाॅ. आलम ने कहा कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम या ठंडा पानी दमा के मरीजों को नही पीना चाहिए। साथ ही वैसी चीजों को न खाएं जिससे शरीर में ठंड हो। दही के बारें में उन्होंने कहा कि ताजा दही खाने में कोई हर्ज नहीं है। वैक्सीनों के बारे में उन्होंने कहा कि इंफ्लुएंजा और निमोनिया के टीके अवश्य लगवायें। इस मौके पर पारस हाॅस्पिटल ने दमा के मरीजों की विशेष देखभाल और उपचार के लिए विशेष अस्थमा क्लीनिक भी आरंभ किया जिससे दमा के मरीज को भली भांति उपचार मिलेगा।