Mar 2, 2024
पारस जे. के. हॉस्पिटल में चिकित्सकों ने चेहरे मे झटके आने व दर्द होने की अनोखी बीमारी का उपचार कर मरीज को राहत दी है। पारस जे.के. हॉस्पिटल के फैसेलिटी डायरेक्टर विश्वजीत कुमार ने बताया कि जगदीश पालीवाल बड़ौदा में रहकर कार्य करता और कई दिनों से चेहरे के दर्द से परेशान था। जगदीश ने दंत चिकित्सक की सलाह पर अपने दो दांत भी निकलवाये पर आराम नहीं मिला। इसके बाद जगदीश ने न्यूरोफिजिशियन का दिखाया। इस पर उसे कुछ वर्षों तक आराम मिला लेकिन दर्द पुन: शुरु होने पर न्यूरोफिजिशिन ने ऑपरेशन की सलाह दी। जगदीश ने ऑपरेशन के लिए गुजरात व राजस्थान के कई बड़े अस्पतालों में परामर्श लिया। अंत में रिश्तेदार के कहने पर पारस जे.के. हॉस्पिटल के न्यरोसर्जरी रोग विशेषज्ञ डॉ. अमितेंदु शेखर को दिखाया। डॉ. अमितेंदु इससे पूर्व सफल ऑपरेशन कर चुके थे और वह मरीज सालों से स्वस्थ जीवन जी रहा है। इस कारण जगदीश ने डॉ. अमितेंदु से ऑपरेशन करवाने का निश्चय किया।
डॉ. अमितेंदु ने बताया कि मरीज को चेहरे में दर्द व झटके आने के साथ पेस्ट करने, दाढ़ी बनाने, चबाने आदि में तकलीफ थी। इन सारी बातों को ध्यान में रखकर सीटी स्केन करवाया जिसमें पता चला कि कान के पीछे वाले हिस्से जिसे आम बोलचाल में छोटा दिमाग भी कहते हैं, में खून की नली दिमाग की नस (ट्राईजूमिनल) को दबा रही है जिससे यह समस्या हो रही है। इसके बाद मरीज को उसका उपचार व रिस्क की जानकारी दी गई। मरीज को बताया गया कि इस प्रकार की बीमारी में 4 तरह से उपचार किया जा सकता है। इन्जेक्शन देकर सुन्न करना, नस को जलाना,
बैलून डालकर नस को रगडऩा व ऑपरेशन करके खून की नली व दिमाग की नस के बीच में स्पंज डालना है। डॉ. अमितेनदु ने बताया कि हमने स्पंज डालने वाले ऑपरेशन को चुन लेप्रोस्कोपी तकनीक से करने का फैसला लिया। इसके लिए कान के पीछे छोटा छेद करके दूरबीन की सहायता से मरीज की खून की नली व दिमाग की नस के बीच में स्पंज रख दिया। 24 घंटे में ऑपरेशन के परिणाम सामने आने लगे और मरीज अपने सभी कार्य कुशलता से करने लगा। धीरे-धीरे उसका दर्द गायब हो गया। मरीज को दो दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस दौरान उसने अपने सभी दैनिक कार्य बिना किसी तकलीफ के किये। इस सर्जरी को करने में 3 घंटे का समय लगा।