Mar 2, 2024
पटना, 23 जनवरी, 2018। पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल, राजाबाजार, पटना में सोमवार 22 जनवरी को पहली बार दो लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। इस किडनी ट्रांसप्लांट की खास बात यह रही कि डोनरों की किडनी पारंपरिक तरीके से हटकर लैप्रोस्कोपिक विधि से निकाली गई। ये ट्रांसप्लांट प्रक्र्रिया किडनी के जाने माने डाक्टर महेश देसाई ने किया। डाॅ. देसाई की ट्रांसप्लांट टीम में डाॅ. अरविंद प्रकाश गणपुले, डाॅ. मोहन एम. राजापुरकर, डाॅ. दीपक मिस्त्री और डाॅ. उमापति एन हेगड़े शामिल थे। जबकि पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल की ओर से इंस्टीच्यूट आॅफ यूरोलाॅजी, नेफ्रोलाॅजी एवं ट्रांसप्लांट के डायरेक्टर डाॅ. अजय कुमार, डाॅ. प्रभात रंजन, डाॅ. अपूर्वा के. चैधरी, डाॅ. विकास कुमार, डाॅ. शशि कुमार और डाॅ. ऋषि किशोर ट्रांसप्लांट आॅपरेशन में शामिल थे।
पारस एचएमआर आई ने काॅरपोरेट सामाजिक जवाबदेही (सीएसआर) के तहत बहुत हीं मामूली खर्च का भार ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीजों पर डाला। जिन दो लोगों के किडनी ट्रांसप्लांट किया गया उनमें से एक पटना के तो दूसरा खगड़िया के रहने वाले हैं। एक मरीज को उनकी पत्नी और दूसरे को उसके पिता ने अपना किडनी दिया है।
मंगलवार 23 जनवरी को आयोजित प्रेस काफ्रेंस में यह जानकारी देते हुए पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल के फैसिलिटी डायरेक्टर डाॅ. तलत हलीम और यूरोलाॅजी, नेफ्रोलाॅजी तथा ट्रांसप्लांट के डायरेक्टर डाॅ. अजय कुमार ने कहा कि सोमवार का दिन पारस एचएमआरआई के लिए ऐतिहासिक दिन था क्योंकि इस दिन से किडनी ट्रांसप्लांट की शुरूआत की गयी है। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि बिहार के लोगों को अब किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बिहार से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। डाॅ. हलीम ने बताया कि हम बिहारवासियों को विश्वस्तरीय किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधाएं कम से कम खर्च पर उपलब्ध करायेंगे जो कि सरकारी दर के लगभग बराबर होगा। इसके अलावा उन्हें अपने राज्य में यह सुविधा मिल जाने पर बाहर जाने पर होने वाली परेशानियों तथा आर्थिक खर्च से उन्हें छुटकारा मिल जाएगा।
पारस हेल्थ केयर के मैनेजिंग डायरेक्टर (एम.डी.) डाॅ. धर्मिन्दर नागर ने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल को बधाई दी है और कहा है कि यह हाॅस्पिटल के डाॅक्टरों के लगातार प्रयास का नतीजा है। वे इस तरह से बिहार के हेल्थकेयर में लगातार सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने खासकर डाॅ. अजय कुमार और उनकी टीम को बधाई दी जिनकी बदौलत किडनी ट्रांसप्लांट संम्भव हो पाया। उन्होंने एक सर्वेक्षण के संदर्भ में बताते हुए कहा कि अभी भारत में चार लाख मरीज किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं और एक प्रतिशत मरीजों का ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाता है। यह स्थिति इसलिए है कि लोगों में जागरूकता कम है एवं भारत में ट्रांसप्लांट की फैसलिटी और विषेषज्ञ बहुत कम है। पारस अस्पताल पटना का ये निरंतर प्रयास रहता है कि बिहार के लोगो को बेहतर स्वास्थ्य सेर्वाए प्रदान करे ताकि यहाॅ के लोगो को अपनो घरों से दुर इलाज के लिए दर-दर भटकना ना पड़े।